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Tuesday, 18th June, 2019
मथुरा। कम उमर में ही अपने शिव भक्ति से ओतप्रोत हर हर शंभू...गीत से लोगों के दिलों को झकझोरने वाली आवाज आज संस्कृति विश्वविद्यालय में देर तक गूंजी। पितृ पक्ष की नवमी पर उड़ीसा की अभिलिप्सा पांडा संस्कृति विश्वविद्यालय में मौजूद थीं और विद्यार्थियों पर अपनी ईश्वर प्रदत्त आवाज से जादू बिखेर रहीं थीं। यह उनकी गायकी का ही असर था कि तेज धूप को भुलाकर छात्र-छात्राएं झूम-झूम कर उनके साथ गा रहे थे। संस्कृति विश्वविद्यालय के मुख्य मैदान पर अभिलिप्सा पांडा के भक्ति से ओतप्रोत गीतों की ये शाम विवि की परंपरा के अनुसार दीप प्रज्ज्वलन से हुई। कार्यक्रम का सारा संचालन विवि के छात्र-छात्राओं के हाथ में ही था। मैदान विद्यार्थियों से भरा हुआ था और विद्यार्थी कभी अभिलिप्सा तो कभी हर-हर शंभू का उद्घोष कर माहौल गर्मी में और गरम कर रहे थे। थोड़ी ही देर में कार्यक्रम की औपचारिकताओं के बाद अभिलिप्सा की खनखती हुई आवाज मंच से अपना जादू बिखेरने लगी। अभिलिप्सा ने शिव तांडव स्त्तोत्र की कुछ लाइनें सुनाईं और बच्चों से साथ में दोहराने को कहा। ये अभिलिप्सा की आवाज का ही दम था कि बिना वाद्य यत्रों के उनका यह गायन छात्र-छात्राओं को साथ देने के लिए मजबूर कर रहा था। मंजिल केदारनाथ एल्बम का, मेरे भोलेनाथ जी....भोला सबको देता है, तू क्या जल चढ़ाएगा, जैसे भक्ति गीत के द्वारा अभिलिप्सा ने अपनी अनूठी गायकी से विद्यार्थियों में भक्ति की बयार बहा दी। गायत्री मंत्र का पाठ कर अपनी गायकी की सामर्थ्य का परिचय दिया। अभिलिप्सा की गायकी के बीच मंच पर सवाल-जवाब का दौर भी चला जिसमें इस युवा गायकी ने अपने जवाबों से अपनी सोच को भी बताया। हर –हर शंभू, से जुड़े एक सवाल पर अभिलाषा ने कहा कि जब यह भजन बहुत लोकप्रिय हो गया तो मुझे अपनी सफलता से आगे भी ऐसे भजनों को नई जनरेशन के बीच जाने का बल मिला। मेरी सोच थी कि हमारी नई जनरेशन के लिए भजनों को नए संगीत के साथ जाने की जरूरत है। यह एक प्रयोग था और यह प्रयोग इतना सफल होगा, मुझे भी उम्मीद नहीं थी। एक अन्य सवाल पर अभिलिप्सा ने कहा कि हमारी जनरेशन खिवैया का रोल निभा रही है। हमारी धर्म संस्कृति को यही खिवैया पार लगाएंगे। इसी बीच विद्यार्थियों की मांग पर उन्होंने शिव भक्ति से ओतप्रोत एक और भजन सुनाकर विद्यार्थियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं वर्तमान युवा पीढ़ी के अंदर बढ़ रही निराशा, तनाव और नकारात्मकता के सवाल पर युवा गायिका ने कहा कि जहां के लोग ईश्वर से जुड़े हैं वहां कैसी नकारात्मकता और कैसी निराशा। हमारे युवा जो सांध्य वंदन करते हैं, ईश्वर से मन लगाते हैं उनको ये सब बीमारियां नहीं हो सकतीं। इस बीच संस्कृति विश्वविद्यालय की शिक्षिका दुर्गेश वाधवा, ज्योति यादव ने अभिलिप्सा पांडा को पटुका ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। छात्र रसिक दुबे ने छात्र-छात्राओं को अभिलिप्सा पांडा का परिचय देते हुए उनका स्वागत किया। मंच पर अभिलिप्सा पांडा से संस्कृति एफएम 91.2 के आरजे जय और संस्कृति प्लेसमेंट सेल की ज्योति यादव ने सवाल-जवाब के सत्र को संपन्न कराया। डा. सचिन गुप्ता ने किया होनहार और लोकप्रिय गायिका का सम्मान संस्कृति विश्वविद्यालय आईं बहुत ही कम समय में अपार लोकप्रियता हासिल करने वाली अभिलिप्सा पांडा को संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि इतनी कम उमर में भारतीय संस्कृति को नए कलेवर के साथ अपनी गायकी में ढालने वाली गायिका निश्चित ही भारत ही नहीं भारत के बाहर भी अपना एक विशिष्ठ स्थान स्थापित करेंगी। इस मौके पर अभिलिप्सा ने संस्कृति विवि में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यहां आकर बहुत अच्छा लगा है, यह एक बहुत सुंदर और शांत विद्या का मंदिर है। वो सभी बच्चे बहुत सौभाग्यशाली हैं जो यहां अध्ययन कर रहे हैं।
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