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Tuesday, 18th June, 2019
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में जगद्गुरु शंकराचार्य का चातुर्मास व्रत व्यास पूजा और संकल्प के साथ शुरू हुआ। यह व्रत सात सितंबर तक चलेगा। संस्कृति विश्वविद्यालय के सुसज्जित परिसर में जगद्गुरु शंकराचार्य अनन्तश्री स्वामी अमृतानंद देवतीर्थ महास्वामी सनातन धर्म की गौरवमयी परंपरा के अनुसार पिछले 23 वर्षों से प्रतिवर्ष इस व्रत का पालन करते आ रहे हैं। व्रत के शुभारंभ पर जगदगुरु शंकराचार्य द्वारा विवि के परिसर में पौधारोपण किया गया। यह आयोजन भक्ति, साधना, पर्यावरण संरक्षण, और शिक्षा का एक अनुपम संगम है, जिसमें नित्य नक्षत्र वृक्ष रोपण और प्रति सप्ताह एक हरिशंकरी वृक्ष का रोपण होगा। बताते चलें कि सनातन धर्म में चातुर्मास (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) एक पवित्र अवधि है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं और भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा इस व्रत के लिए विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। यह समय तप, साधना, भक्ति, और आत्मिक शुद्धि के लिए समर्पित है। भक्तों को कीर्तन, भागवत कथा, तुलसी पूजन और नक्षत्र वृक्ष रोपण जैसे अनुष्ठानों में भाग लेकर आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्राप्त होता है। संस्कृति यूनिवर्सिटी का परिसर, जो इस चातुर्मास व्रत को और अधिक भव्य बनाएगा। इस दौरान होने वाले कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में भक्तजन भाग ले रहे हैं। इस दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा और अभिषेक, जो आत्मिक शांति प्रदान करने वाला रुद्राभिषेक, सनातन धर्म की गहराईयों को उजागर करने वाले नियमित धार्मिक अनुष्ठान, भक्ति भजन और कीर्तन, संकल्प, प्रतिदिन एक नक्षत्र वृक्ष का रोपण, जो वैदिक परंपरा के अनुसार पर्यावरण संरक्षण और नक्षत्र दोष निवारण में सहायक है, प्रति सप्ताह एक हरिशंकरी वृक्ष (पीपल, बरगद, और आँवला का संयुक्त रूप) का रोपण, जो भगवान शिव और विष्णु की कृपा का प्रतीक है, किया जाएगा। यह आयोजन भक्तों को आत्मिक शांति, सनातन धर्म के प्रति गहन समर्पण, और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का अवसर प्रदान कर रहा है। संस्कृति यूनिवर्सिटी: शिक्षा और संस्कृति का तीर्थ संस्कृति यूनिवर्सिटी भारत के अग्रणी निजी विश्वविद्यालयों में से एक है, जो शैक्षिक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक है। यह विश्वविद्यालय स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, एकीकृत, और डॉक्टरेट स्तर के विविध पाठ्यक्रम प्रदान करता है। अपनी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और उद्योग-आधारित शिक्षण अनुभवों के लिए विख्यात, यह उत्तर प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ निजी विश्वविद्यालयों में शुमार है। संस्कृति यूनिवर्सिटी न केवल शैक्षिक उत्कृष्टता का केंद्र है, बल्कि सनातन सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षक भी है, जो इस चातुर्मास आयोजन के माध्यम से और अधिक उजागर हो रहा है।
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